ऐसी 4 महिलाएं जिन्होंने खतरनाक बीमारियों को हराया

ऐसी 4 महिलाएं जिन्होंने खतरनाक बीमारियों को हराया

रोहित पाल

अब एक महिला का जीवन सिर्फ एक चारदीवारी तक ही सीमित नहीं है। अब महिलाएं घर से बाहर निकलकर पुरुषों से कंधा मिलाकर बराबर चल रही हैं। हर क्षेत्र में वह अपना 100 प्रतिशत दे रही है। अब वह समय नहीं रहा जब आप महिलाओ को बंदिशों में बांध सकें। यही नहीं वह बाहर ही नहीं बल्कि घर, परिवार और बच्चों को संभालने की जिम्मेदारी भी बखूबी निभाती हैं। शायद इसी वजह से अभी तक मैन-डे सेलीब्रेट करने की बजाय वुमेन-डे मनाया जाता है। अब सोचिए पूरे घर को संभालने वाली महिला बीमार पड़  जाए तो क्या होगा? ऐसे में आज उन महिलाओं के बारे में चर्चा करना बनता है जो खतरनाक बीमारियों से लड़ी और फाइटर बनकर उन बीमारियों को हराया।

पढ़ें- हां, मैंने गर्भाशय निकलवाया और इसमें छिपाने जैसा कुछ नहीं है 

1- लीजा रे-

लीजा रे बॉलीवुड में फ़िल्मों में काम किया है। साल 2009 में लीजा रे मल्टीपल माइलोमा नाम के कैंसर से गुजरी थीं। मल्टीपल माइलोमा एक विषम व घातक प्लाज्मा सेल विकार है। इसमें गुर्दों की खराबी, शरीर में खून की कमी, हड्डी की कमजोरी या अन्य इस बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं। यह एक प्रकार का कैंसर है जो सफेद ब्लड सेल्स में होता है, इन्हें प्लाज्मा सेल्स भी कहते हैं। यह सेल्स बोन मैरो में बनते हैं और खून और लिम्फ टीशू में पाए जाते हैं। व्हाइट ब्लड सेल्स शरीर के इम्यून सिस्टम का हिस्सा होते हैं, जो बॉडी को इंफेक्शन और बीमारियों से बचाती है। यह एक दुर्लभ कैंसर है। हालांकि 2010 में लीजा रे ने स्टेम सेल ट्रांसप्लांट करवाकर इस कैंसर से मुक्ति पाई। लीजा रे एक फाइटर हैं, कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी को हराया है और अब परिवार के साथ एक शानदार ज़िंदगी जी रही हैं।

 2- सोनाली बेंद्रे-

बॉलीवुड की अभनेत्री सोनाली बेंद्रे भी कैंसर से पीड़ित थीं। सोनाली बेंद्रे हाई-ग्रेड कैंसर से पीड़ित थीं। हाई ग्रेड कैंसर में, कोशिकाएं सामान्य कोशिकाओं की तुलना में बहुत अलग दिखती हैं, वे खराब दृष्टिकोण के साथ बहुत जल्दी बढ़ती हैं। निम्न ग्रेड कैंसर की तुलना में, हाई ग्रेड कैंसर में विभिन्न प्रकार के उपचारों की आवश्यकता होती है। लेकिन सोनाली बेंद्रे बेस्ट फाइटर बनी और कैंसर से जीती।

एक इंटरव्यू के दौरान सोनाली बेंद्रे खुद बताया था कि कैंसर से जंग में शारीरिक दर्द से कहीं ज्यादा मानसिक दर्द का सामना करना पड़ता है। इसके लिए ख़ुद को व्यस्त रखें। ख़ुशियों के रास्ते तलाशें। मानसिक जंग जीत ली, तो मानो शारीरिक जंग भी जीत ही लेंगे। खुद को पॉजिटिव रखकर हमेशा फ्यूचर की तैयारी जरूर रखें। मन में विश्वास रखें कि आप फिर से सामान्य होकर वापसी करने जा रहे हैं और उसका पूरा प्लान भी तैयार करते रहें। इससे आप इंगेज और व्यस्त रहने के साथ सामान्य भी महसूस करेंगे।

इंफॉर्मेशन, अवेयरनेस और एक्शन, इन चीज़ों की जरूरत मुझे मेरे इलाज के दौरान पड़ी थी। मेरा मानना है कि कैंसर हो, तो कैंसर रोगी के साथ परिजनों को जागरूक रहना चाहिए। हां, सूचनाओं को डर का कारण ना बनने दें। अपने आपको अपडेट रखने के लिए जानकारी जुटाएं। हमारे अस्पतालों में कई महत्वपूर्ण और सस्ती सुविधाएं भी होती हैं, इन सबके बारे में जानकारी जुटाएं।

3- अनुष्का शंकर-

मशहूर सितार वादक अनुष्‍का शंकर यूट्रस यानी गर्भाशय से संबंधित बीमारी से पीड़ित थीं। उन्हें ऐसी समस्या दो बार हुई थी। सबसे पहले 26 की उम्र में   यूट्रस में खरबूजे के आकार के फायब्रॉयड का पता चला। कुशल डॉक्टरों ने मायोमेक्टॉमी (गर्भाशय से फायब्रॉयड को निकालने की सर्जरी) से मेरे यूट्रस को सुरक्षित कर दिया था। इसके कुछ समय बाद  उन्हें फिर से यही समस्या हो गयी जिसके बाद सर्जरी कर उनके गर्भाशय को निकाल दिया गया था। इस दौरान अनुष्‍का शंकर को काफी पीड़ा भरे दौर से गुजरना पड़ा था।

इस बारे उन्होंने अपनी इस समस्या को ट्विटर के माध्यम से शेयर की थी। उन्होंने कहा कि सर्जरी के बाद मैं अब घर पर स्वास्थ्य लाभ कर रही हूं। मैं खुशकिस्मत हूं कि मेरे पास शानदार सपोर्ट है, मैं सलाह या दया नहीं मांग रही। मैं जानती हूं कि मेरी कहानी कोई इकलौती नहीं है और महिलाएं रोज़ मुझसे कहीं ज्यादा पीड़ा झेलती हैं। मगर मुझे लगता है कि कुछ महीने पहले सर्जरी की जरूरत के बारे में लोगों से बात न करना ठीक नहीं था। बचपन से मेरे दिमाग में यह भरा गया कि प्रजनन संबंधी मुद्दों पर हम महिलाओं को रोग के लक्षणों को छिपाते हुए चुपचाप सहना चाहिए। मैं अब ऐसा नहीं करना चाहती। सर्जरी से मेरा गर्भाशय हटा दिया गया है और पेट के अतिरिक्त ट्यूमरों को भी।

4- ताहिरा कश्यप-

अभिनेत्री ताहिरा कश्यप ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित थीं। अभिनेत्री ताहिरा कश्यप आयुष्मान खुराना की पत्नी हैं। वह 2018 में ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित थीं। वह एक बेस्ट फाइटर की तरह बीमारी से लड़कर बाहर निकलीं।

एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने खुद बताया कि कैंसर किसी को भी हो सकता है, मुझे हुआ। लेकिन मैंने कैंसर को एक परेशानी या मुसीबत नहीं समझा। जब कैंसर का पता चला तो मैंने ठान लिया कि मुझे इससे उबरकर खुद का एक बेहतर रूप दुनिया के सामने लाना है। आप जिंदगी को कभी हल्के में मत लीजिए, क्योंकि जब ऐसी परिस्थिति सामने आती है तो जिंदगी के हर एक लम्हे की कीमत समझ आने लगती है। मैं आस्थावान थी, बुद्धिज़्म फॉलो करती थी। इससे मुझे ताक़त मिली। आप भी अपनी मन की ताक़त खोजें और बीमारी से लड़कर बाहर निकलें। महज़ एक बीमारी ख़ुश होने से कैसे रोक सकती है? ख़ुश रहकर आप बीमारी से दो-दो हाथ कर सकते हैं। मैंने कैंसर के दौरान हर पल यही सोचा कि मुझे इससे जीतना है इसलिए मैं ख़ुश थी।

 

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